न जाने कैसी ये बेदिली, बेहिसी, बेज़ारी है हालांकि ज़िन्दगी से जंग मुसलसल जारी है हक़ ए रग़बतअदा न हुआ और उम्र कट गयी दर्द लिखने वाले गुज़र गए अब अपनी बारी है 12/6/21