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आनेवाले कल की आशा में हमें अपने आज के जीवन की परिभ

आनेवाले कल की आशा में हमें अपने आज के जीवन की
परिभाषा नहीं बदलनी चाहिए।

कल जो होगा वह उस समय पर होगा, हम उसे तब हीं जी पाएंगे
जब हम सशरीर उस समय में पहुँच जाएंगे।
इसलिये भविष्य में जो हम होने या बनने की इच्छा रखते हैं
यानी कि कल को लेकर हमारे जो सपने हैं
हमें उनकी रसमाधुरी में इतना भी नहीं डूब जाना चाहिए कि हम आज अपने कर्म अर्थात कर्तव्यों से विमुख हीं हो जाएं और वक़्त हमें अनैक्षिक भविष्य में घसीटते हुए ला पटके।

समझिए, भविष्य अनिश्चित है और जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की ओर जाता है, उसका अनिश्चित तो निश्चित हैं हीं साथ में निश्चित भी अनिश्चित बन जाता है आनेवाले कल की आशा में हमें अपने आज के जीवन की परिभाषा नहीं बदलनी चाहिए।

 कल जो होगा वह उस समय पर होगा, हम उसे तब हीं जी पाएंगे जब हम सशरीर उस समय में पहुँच जाएंगे। 

इसलिये भविष्य में जो हम होने या बनने की इच्छा रखते हैं यानी कि कल को लेकर हमारे जो सपने हैं हमें उनकी रसमाधुरी में इतना भी नहीं डूब जाना चाहिए कि हम आज, अपने कर्म अर्थात कर्तव्यों से विमुख हीं हो जाएं और वक़्त हमें अनैक्षिक भविष्य में घसीटते हुए ला पटके। 

समझिए, भविष्य अनिश्चित है और जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की ओर जाता है, उसका अनिश्चित तो निश्चित हैं हीं साथ में निश्चित भी अनिश्चित बन जाता है
आनेवाले कल की आशा में हमें अपने आज के जीवन की
परिभाषा नहीं बदलनी चाहिए।

कल जो होगा वह उस समय पर होगा, हम उसे तब हीं जी पाएंगे
जब हम सशरीर उस समय में पहुँच जाएंगे।
इसलिये भविष्य में जो हम होने या बनने की इच्छा रखते हैं
यानी कि कल को लेकर हमारे जो सपने हैं
हमें उनकी रसमाधुरी में इतना भी नहीं डूब जाना चाहिए कि हम आज अपने कर्म अर्थात कर्तव्यों से विमुख हीं हो जाएं और वक़्त हमें अनैक्षिक भविष्य में घसीटते हुए ला पटके।

समझिए, भविष्य अनिश्चित है और जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की ओर जाता है, उसका अनिश्चित तो निश्चित हैं हीं साथ में निश्चित भी अनिश्चित बन जाता है आनेवाले कल की आशा में हमें अपने आज के जीवन की परिभाषा नहीं बदलनी चाहिए।

 कल जो होगा वह उस समय पर होगा, हम उसे तब हीं जी पाएंगे जब हम सशरीर उस समय में पहुँच जाएंगे। 

इसलिये भविष्य में जो हम होने या बनने की इच्छा रखते हैं यानी कि कल को लेकर हमारे जो सपने हैं हमें उनकी रसमाधुरी में इतना भी नहीं डूब जाना चाहिए कि हम आज, अपने कर्म अर्थात कर्तव्यों से विमुख हीं हो जाएं और वक़्त हमें अनैक्षिक भविष्य में घसीटते हुए ला पटके। 

समझिए, भविष्य अनिश्चित है और जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की ओर जाता है, उसका अनिश्चित तो निश्चित हैं हीं साथ में निश्चित भी अनिश्चित बन जाता है
arsh1145292537229

Arsh

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आनेवाले कल की आशा में हमें अपने आज के जीवन की परिभाषा नहीं बदलनी चाहिए। कल जो होगा वह उस समय पर होगा, हम उसे तब हीं जी पाएंगे जब हम सशरीर उस समय में पहुँच जाएंगे। इसलिये भविष्य में जो हम होने या बनने की इच्छा रखते हैं यानी कि कल को लेकर हमारे जो सपने हैं हमें उनकी रसमाधुरी में इतना भी नहीं डूब जाना चाहिए कि हम आज, अपने कर्म अर्थात कर्तव्यों से विमुख हीं हो जाएं और वक़्त हमें अनैक्षिक भविष्य में घसीटते हुए ला पटके। समझिए, भविष्य अनिश्चित है और जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित की ओर जाता है, उसका अनिश्चित तो निश्चित हैं हीं साथ में निश्चित भी अनिश्चित बन जाता है #Fire #Love #story #Hindi #lust #nojotohindi #Arsh