जीवन की उलझने और हर पल मन की बदलती चेतना मुझे यकीनन चौकाती है कि ये मैं नही हूँ, सच तो यह है कि मैं अपने ही भीतर अपने कई रूपों को देख चुका हूं और जो वास्तव में मैं हूँ उसे भूल चुका हूं, इसे समझना मुश्किल है, हालांकि मेरी मानसिक अवस्था सामान्य नही है लेकिन मैं दिखता बेहद सामान्य हूँ ! . ©BIKASH SINGH #जीवनचक्र