#Pehlealfaaz हर एक ग़म को बहाल रक्खा गया है मुझमें ख़ुशी का कितना ख़्याल रक्खा गया है मुझमें बग़ौर देखो तो अपने होने का भेद पाओ निहाँ कुछ ऐसा कमाल रक्खा गया है मुझमे न जाने क्या मसलिहत है उसकी बिनाए-दुनिया जो रूह-ओ-जाँ का विसाल रक्खा गया है मुझमें किसी को अदना ख़ुशी तलब थी, इसी लिए तो ज़माने भर का मलाल रक्खा गया है मुझमे उरूज रक्खा जुनूँ के सदके जहाँ, वहीं पर ख़ुदी की सूरत ज़वाल रक्खा गया है मुझम ये किस का चेहरा उजालता हूँ मैं फ़िक्र-ओ-फ़न में ये किस का शेअरी कमाल रक्खा गया है मुझमें हर इक सितम पर ही सब्र रक्खूँ तो ये बताओ कि क्यों लहू का उबाल रक्खा गया है मुझमे Aarav Rathod #Pehlealfaaz I aam. Journalist