कितनों के कितनी ख्वाहिशें होंगी दिलों में अरमान होंगे, ना घरों में होंगी दो वक्त की रसद,ना मिलते काम होंगे । मौत से जूझते डाक्टर,नर्स, और पुलिस के जवान होंगे, मकसद एक फ़र्ज़ एक कोरोना से बचने मेंं लगे आम होंगे । -प्रमोद मिश्रा #बचाव_और_सावधांनी