उठा है धुँवा बस्ती से बिना कुछ जले , फिर ये गर्दो-गुबार कैसा अलिफ़, बे, पे से वाकिफ नहीं जो, वो तालीमी इदारों मे शुमार कैसा ©Kamlesh Kandpal #Talim