"समझदारी" आज हंसती है मेरी समझदारी प्यार की उन सब बेवकूफियों पर जो करते चले गये हंसते - हंसते, रोते- रोते, मगर हाँ अपनी मर्ज़ी से भरपूर। प्यार क्या था, एक लगाव जैसा था बस Infatuation कहते हैं न English में, वही बस... किशोरावस्था का लक्षण मात्र। किशोरावस्था का वो लक्षण... बिल्कुल सामान्य सा लक्षण, लेकिन याद क्यों है अभी तक इस अधेड़ उम्र में? वो भी सभी तफ़सील के साथ, और क्यों याद आ जाता है हर रात बिस्तर पर बिन बुलाये? ओह, समझदारी का मन बहलाने आता होगा, उसको हंसाने आता होगा। बोला था न शुरू में ही - 'आज हंसती है मेरी समझदारी...' सुबह पाँच बजे तक हंसती है कभी-कभी तो, फिर नहीं हंसती दिनभर, समझदारी जो है, दिन में भी हंसेगी तो नाम न बदनाम होगा उसका। तो लब्बोलुआब ये के छिप- छिप के हंसती है समझदारी, या यों कहें के इंतजार करती है रात का, बेवकूफियों की याद का। मगर मुझसे तो छिपा नहीं सकती ये कारस्तानी अपनी, तो बड़ी बेवकूफ़ सी लगती है मुझे मेरी समझदारी, मेरी बेवकूफियों पर हंसते हुए। किशोरावस्था के वो लक्षण, ज़िन्दा रखे हुए हैं मुझे अभी तक। आज भी सारी रात रोते कटी, चार चालीस हो चले हैं, सोऊं अब, सुबह उठना है सभी समझदारियों के साथ, अधेड़ उम्र वाली। #NaveenMahajan समझदारी #Stars&Me