मन और मंज़िल मन ,यु तो हजारों खाब समेटे हैं, और गहराई मे सारे जख्मो को बडी हिफाज़त से दफन किए , ललचाए हुए जाने किस मंजिल को ढूढता है, और बडे करीने से ये मुझसे अपनी दिशा पूछता है। मै राहे देख जब लडखडा जाती हु, मेरा मन अडिग रहता है, भ्रमित न होकर, ये अपनी मंजिल को ढूढता है । #मेरा मन