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कोई आत्मसम्मान को टेश पहुंचा कर झुकाने लगें, कोई

कोई आत्मसम्मान को टेश पहुंचा 
कर झुकाने लगें,
कोई हमारी राह में रोड़े अटकाने लगे
हमें अपनी मंजिल से भटकाने लगें,

चलने वाले रुकते नहीं,
ऐसे इंसा का खून हैं रगो में, यूं आत्मसम्मान को 
गिरा कर हम झुकते नहीं,

मंजिल को पाकर रहेंगे,
लोग तो अच्छे को भी बुरा ही कहेंगे,

©jyoti gurjar
  #लोग