हर इंसान एक किताब की तरह होता है उस किताब में व्यक्ति का विचार होता है विचार ही वयक्तित्व का विशेष होता है उस किताब को पढ़ने के लिए नजरिये का साफ होना होता है। प्रकाश उइके ##human like a book