मेरे अपने सगे कौन मेरे साथ रहते फिर बुरे कौन हर राह पर मुझे मिले कौन धुंआ उड़ा परवाह किसे आग लगे मुझे क्या मरे कौन।। मुसाफ़िर ज़िन्दगी शमशान तक साथ देगी उसके बाद मौत मुझे अपना लेगी.. करो इश्क़ अभी मौका है फिर राख बचेगी... बचो कान फूंकने वालो से ये पेड़ को जड़ से उखाड़ देगी।। राहुल छतरपुरिया