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घर से निकले तो दिल मैं कुछ अरमान थे । रास्ते से गु

घर से निकले तो दिल मैं कुछ अरमान थे । रास्ते से गुजरे तो बीच मैं कब्रिस्तान थे |

कब्रिस्तान के मुर्दे के हड्डी मैं जब हमारा पैर परा तो उसके कुछ बयान थे । के संभाल कर चल नादान हम भी तेरे जैसे इंसान थे...

©Sarfraj Alam Shayri
  #travelogue घर से निकले तो दिल मैं कुछ अरमान थे । रास्ते से गुजरे तो बीच मैं कब्रिस्तान थे |

कब्रिस्तान के मुर्दे के हड्डी मैं जब हमारा पैर परा तो उसके कुछ बयान थे । के संभाल कर चल नादान हम भी तेरे जैसे इंसान थे...

#travelogue घर से निकले तो दिल मैं कुछ अरमान थे । रास्ते से गुजरे तो बीच मैं कब्रिस्तान थे | कब्रिस्तान के मुर्दे के हड्डी मैं जब हमारा पैर परा तो उसके कुछ बयान थे । के संभाल कर चल नादान हम भी तेरे जैसे इंसान थे...

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