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रह गई कुछ ख़्वाईशात अधूरी दिल को यह मलाल आज भी है च

रह गई कुछ ख़्वाईशात अधूरी
दिल को यह मलाल आज भी है
चुप रह गए हम ग़म सहते हुए
छाई रही खामोशी उनकी वहाँ
सोच कर दिल मलूल आज भी हैं
कटते नहीं रास्ते तन्हाई के अब
वापसी के रास्ते पर निगाहें मेरी
करती इंतज़ार तेरा आज भी हैं
कोशिश करती रही दुनिया हमें
समझाने की हज़ार बार क़भी
नकार कर उसकी रवायत
मैं चली आई थी तेरे पीछे
तुझ तक ले जाने वाले एक
रास्ते की तलाश आज भी है प्रिय Raag की एक अत्यंत सुंदर कविता का पुनर्निर्माण...


जो की थी क़भी तुमसे
वो मोहब्बत आज भी हैं
तुझे देख के बस तुझे ही देखे
निगाहों में वो शराफ़त आज भी है
ना था कोई दूजा, ना हो दूजा
रह गई कुछ ख़्वाईशात अधूरी
दिल को यह मलाल आज भी है
चुप रह गए हम ग़म सहते हुए
छाई रही खामोशी उनकी वहाँ
सोच कर दिल मलूल आज भी हैं
कटते नहीं रास्ते तन्हाई के अब
वापसी के रास्ते पर निगाहें मेरी
करती इंतज़ार तेरा आज भी हैं
कोशिश करती रही दुनिया हमें
समझाने की हज़ार बार क़भी
नकार कर उसकी रवायत
मैं चली आई थी तेरे पीछे
तुझ तक ले जाने वाले एक
रास्ते की तलाश आज भी है प्रिय Raag की एक अत्यंत सुंदर कविता का पुनर्निर्माण...


जो की थी क़भी तुमसे
वो मोहब्बत आज भी हैं
तुझे देख के बस तुझे ही देखे
निगाहों में वो शराफ़त आज भी है
ना था कोई दूजा, ना हो दूजा
akankshagupta7952

Vedantika

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