जान जान बोलते हैं क्यों की जान हो तुम तुम ही हो रची इस मन में संजोया है तुम को इस जीवन में नशीले नैनों में डूब गया जब से देखा तुमको, सब भूल गया लबों से मीठे बोल जो निकले तुम्हारे मीठी आवाज़ की धुन में डोल गया सावन की तरह आई पतझड़ से जीवन में बिखेरी खुशबू इस बगीयन में तुम को पा के मैं सारे गम भूल गया ©Dr Supreet Singh #सच्चा_प्यार