आए सिखावन प्रेम मोहे तुम जानत हौ कछु प्रेम की लीला, नैनन नमी कबहू सूखत नाही हृदय बजत बस मृदंग सुरीला, देखन दिवस लगए निशा और छाए बदरी लगए अम्बर नीला, प्रेम जोग है बतावत हमय यो मीर,कबीर कौ पुरान कबीला। Vrij