था धर्मयुद्ध महायुद्ध वह जो सब पर भारी था, जो थे योद्धा इस युद्ध के देश उनका आभारी था, मां भारती की रक्षा के खातिर जो, भगत-राजगुरु-सुखदेव फांसी पर हंसते-हंसते झूले थे जो जोश आजादी का तुम दिखा रहे हैं, इंकलाब का नारा था, एक ओर थे क्रांतिकारी तो दूजी और अहिंसा का पुजारी था, सत्याग्रह के रूप में वह गांधी सब पर भारी था, उन पिशाच अंग्रेजों ने लूटी देश की शान थी, लाला लाजपत राय उस लाज के रखवाले थे, रखना बरकरार आजादी के जोश को मेरे वीर जवानों, झुकने ना देना तिरंगे को इस देश के परिवानो। 🎀 विशेष प्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ 🇮🇳 स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ 🇮🇳 🎀 10 से 12 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। 🎀 रचना केवल वीर रस में लिखी होनी चाहिए। 🎀 रचना में कम से कम 5 स्वतंत्रता सेनानियों के नाम हों। 🎀 समूह की मुख्य प्रतियोगिता और कोलाब प्रतियोगिता में भाग लेना अनिवार्य है।