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बचपन वो भी क्या जमाना था। बस खुशियों का खजाना था।

बचपन
वो भी क्या जमाना था।
बस खुशियों का खजाना था।
हर दिन एक नया फसाना था।
सिर्फ सुकुन से सोना और खाना था।
ना ही रोने की कोई वजह थी।
ना ही हंसने का बहाना था।
हर मौसम बस खुशी से बिताना था।
स्कूल न जाने का रोज अच्छा बहाना था।
कभी गिर जाने पर रोते तो माॅं के आंचल का
 सहारा था।
ना कुछ पाने की चाह थी ।
कागज की बस अपनी नाव थी।
दोस्तों का साथ था।
एक रुपया भी खास था।
क्यों हो गए हम बड़े वो बचपन ही सुहाना था।‌।

©Ritu #Childhood #Memories
बचपन
वो भी क्या जमाना था।
बस खुशियों का खजाना था।
हर दिन एक नया फसाना था।
सिर्फ सुकुन से सोना और खाना था।
ना ही रोने की कोई वजह थी।
ना ही हंसने का बहाना था।
हर मौसम बस खुशी से बिताना था।
स्कूल न जाने का रोज अच्छा बहाना था।
कभी गिर जाने पर रोते तो माॅं के आंचल का
 सहारा था।
ना कुछ पाने की चाह थी ।
कागज की बस अपनी नाव थी।
दोस्तों का साथ था।
एक रुपया भी खास था।
क्यों हो गए हम बड़े वो बचपन ही सुहाना था।‌।

©Ritu #Childhood #Memories