मैं गंगा सी उजली निर्मल, घाट बनारस तुम । मैं अरुणिमा भोर की फैली, शामअवध रस तुम । घुल जाओ तुम मुझमें ऐसे, ज्यों मस्तक चंदन । महक उठे यह जीवन मेरा, हो शुभ आलिंगन ©Madhavi Bhatnagar shrivasta #lovepoetry #loveshayari #lovequotes #lovesher #hindiliterature #hindishayri #lovedairy #hindiwriters #Couple