मद में चूर ऐसे रावण जब पापों की गगरी भरते जाते हैं तब तब श्री राम प्रभु अवतार ले धरा पर अवश्य ही आते हैं कुम्भकर्ण इंद्रजीत सहित हुआ सेना का श्री हाथों उद्धार हर एक राक्षस हो पावन स्वतः पहुंच गया श्री वैकुंठ द्वार छल, बल, अनीति का बस क्षणिक होता है अपना प्रभाव सत्य, नीति, कल्याण भाव से ही जीत का होता प्रादुर्भाव कुकर्म, अनाचार,अभिमान की आखिर होती है बस हार श्री राम के हाथों लगते ब्रह्मास्त्र से हर रावण का होता है उद्धार रावण के पास भी तो था अनन्य गुणों का भण्डार बस उसके दुष्कर्मों ने ही पहुँचाया उसे मृत्यु के द्वार अपने अंतर के रावण को मारने की सीख प्रभु ने थी सिखाई श्री राम की सीख पर चलें हम भी, सबको विजयादशमी की बहुत बधाई ©Divya Joshi विजयादशमी मद में चूर ऐसे रावण जब पापों की गगरी भरते जाते हैं तब तब श्री राम प्रभु अवतार ले इस धरा पर अवश्य ही आते हैं कुम्भकर्ण इंद्रजीत सहित हुआ सेना का श्री हाथों उद्धार हर एक राक्षस हो पावन स्वतः पहुंच गया श्री वैकुंठ द्वार