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सारे पियक्कड़ घूम रहे, खंभों को वह चूम रहे। झूम झू

सारे पियक्कड़ घूम रहे,
खंभों को वह चूम रहे।
झूम झूम कर राग अलापे,
राधा कृष्ण सा खुद को मापे।
भंग का नशा सिर चढ़कर बोला,
मदमस्त सा फिर वह डोला।
सब पकड़ कर नाचे तंबू,
छोटा मोटा हो या लंबू।
मदिरा पीकर वह तो झूमे,
गिरते पड़ते सबको चूमे।
कर दे कुछ भी फिर यह बोले,
बुरा ना मानो होली है।
रंग से कोई बचने ना पाए,
जीजा हो या साली सलज।
मिले मिलकर सबरंग लगाएं,
होली में हुड़दंग मचाए।।

©Madhu Arora
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