ना सुर है कोई ना कोई ताल है। डगमगाती हुई सी मेरी चाल है। एक तेरी प्रतीक्षा है कान्हा मुझे! देख आके जरा तू मेरा हाल है। दुःख वही फिर लेके आना न तुम... कंस कोई नया भी बनाना न तुम... बनके रहना सदां बाँसुरी संग में... राधे रानी को अबके भुलाना न तुम.. दे सको हल तो दो तुम मेरे प्रश्न का! आज भी प्रेम बोलो क्यों बे-हाल है। न सुर----- ग्वाला बनके दिया था जो आनंद तू वो मस्ती भरी फिर से बरसात हो... तोड़ देना भरम भ्रान्ति मन की मेरे.. तेरे होने का मुझको यूँ आभास हो.. ओ मुरली-मनोहर पधारो मेरे घर आके देखो जरा तुम मेरा हाल है। ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1029 #collabwithकोराकाग़ज़ 💐💐 श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ! 💐💐 ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।