शीर्षक : वक्त की मात बहताब था मेरा झरने सा, अरमान थे मेरे सागर से लड़ना था मुझे उन लहरों से, जाना था गगन के पार मुझे बनना था मुझे चट्टानों सा, मरना था वीर जवानों का चाहता खुशियों का टुकड़ा पर मिला है गम का ढेर मुझे क्षणभर का रहा न ख्याल मुझे, पल भर में बचपन बीत गए युवावस्था का भी दौर चला, अब फैशन भी हर रोज चला ट्रेंडी होने के चक्कर में ट्रेडिसन्स को ही भूल गए हां इससे आनंद मिले हमें कुछ पल के पर लक्ष्य मिले न फ्यूचर के जब पता चला हम भटक गए, तब परिवर्तन की ओर चले पर देर बहुत हो आई थी, रागिनी की कालीमा भी छाई थी #sapne Nojoto hindi poem