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बारिश की कुछ बूंदे हमे कहाँ रोक पाएंगी । दिल मे बा

बारिश की कुछ बूंदे हमे कहाँ रोक पाएंगी ।
दिल मे बाढ़ आयी हो उस पल !
ये कहा हमे झुका पाएगी ।
बस...कर, एक दुआ पूरी मेरी ।
बरस जा तू तेज होकर ।
भूल जाऊ जिससे मैं अपने दुख और दर्द ।
 बनाकर नदी - तालाब निकल फेंकू उन सबको जो आ जाते है बीच राह ।।

©Tyagi Lakshya बारिश की परछाई में छिपना चाहता हूँ,
उसकी गहराई को मै, नापना चाहता हूँ ।
क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ ?
अगर हाँ तो मै अब क्यों ही वक़्त रोने में व्यतीत कर रहा हूँ ।।

#rainfall
बारिश की कुछ बूंदे हमे कहाँ रोक पाएंगी ।
दिल मे बाढ़ आयी हो उस पल !
ये कहा हमे झुका पाएगी ।
बस...कर, एक दुआ पूरी मेरी ।
बरस जा तू तेज होकर ।
भूल जाऊ जिससे मैं अपने दुख और दर्द ।
 बनाकर नदी - तालाब निकल फेंकू उन सबको जो आ जाते है बीच राह ।।

©Tyagi Lakshya बारिश की परछाई में छिपना चाहता हूँ,
उसकी गहराई को मै, नापना चाहता हूँ ।
क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ ?
अगर हाँ तो मै अब क्यों ही वक़्त रोने में व्यतीत कर रहा हूँ ।।

#rainfall

बारिश की परछाई में छिपना चाहता हूँ, उसकी गहराई को मै, नापना चाहता हूँ । क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ ? अगर हाँ तो मै अब क्यों ही वक़्त रोने में व्यतीत कर रहा हूँ ।। #rainfall