बारिश की कुछ बूंदे हमे कहाँ रोक पाएंगी । दिल मे बाढ़ आयी हो उस पल ! ये कहा हमे झुका पाएगी । बस...कर, एक दुआ पूरी मेरी । बरस जा तू तेज होकर । भूल जाऊ जिससे मैं अपने दुख और दर्द । बनाकर नदी - तालाब निकल फेंकू उन सबको जो आ जाते है बीच राह ।। ©Tyagi Lakshya बारिश की परछाई में छिपना चाहता हूँ, उसकी गहराई को मै, नापना चाहता हूँ । क्या मैं ऐसा कर सकता हूँ ? अगर हाँ तो मै अब क्यों ही वक़्त रोने में व्यतीत कर रहा हूँ ।। #rainfall