ग़ज़ल बह्र : मुफ़ाई-मुफ़ाई-मुफ़ाई 122-122-122 न देखी गयी दिल की दुनिया मिटा दी गयी दिल की दुनिया बसाए गए शहर तन के उजाड़ी गयी दिल की दुनिया गई गुजरी सी शय समझकर बिखेरी गयी दिल की दुनिया शब-ए-हिज्र में ज़िंदगी भर जगायी गयी दिल की दुनिया मिला हमको तन का जहन्नुम तुम्हें दी गयी दिल की दुनिया बदन संग चलना था लेकिन अलग ही गयी दिल की दुनिया गगन मुदगल part 1/2 #post #NojotoIIITM #GWALIOR #IIITMNojoto #NOJOTOIIITM #NojotoGwalior