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बदल गए धरती अंबर ,और बदल गया भगवान, सूरत बदली

 बदल गए धरती अंबर ,और बदल गया भगवान,
सूरत  बदली   सीरत   बदली ,बदल गया इंसान,

ए वक़्त ! तेरी  फ़ितरत  ना बदली थोड़ी सी भी,
देख ज़माना बदल गया और , बदल गया ईमान,

रही  तेरी  रफ़्तार  वही ,बदली न चाल ज़रा सी,
घर बदले, बगिया बदली,और बदल गया श्मशान,

छूट गए रंग तितली के , फूलों की उड़ गई रंगत,
चँदा बदला ,सूरज बदल , बदल गया आसमान,

क्यूँकर तू करता मनमानी ,कुछ तो कम कर चाल,
बदल  दिया  रंग  प्रकृति ने , बदले  साँझ विहान।।

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
  #फितरतनबदली