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मातृभाषा हिन्दी का पर्व:- 14 सितंबर 2022 हिन्दी दि

मातृभाषा हिन्दी का पर्व:- 14 सितंबर 2022 हिन्दी दिवस                हर दिवस कुछ न कुछ लेकर आता है, आज हिन्ही दिवस है मतलब ‘मातृभाषा दिवस’। मातृ एक गरिमामयी व्यक्तित्व है जिसके इर्द-गिर्द एक पूरा संसार चलायमान है,मातृभाषा भी इसी का प्रतिनिधित्व करती है जो प्रचुर मात्रा में शब्दों और अर्थो का भण्डार रखती है , हिन्दी भाषा में रचे बसे शब्द सीधे दिल में उतर कर दिल की कोमल भावनाओं को छूते हैं, गुस्से और प्यार को, नफरत और लालच को, जमाने भर के समस्त भावों को अभिव्यक्त करने के लिये प्रचुर शब्द यहां हैं, मुझे हिन्दी से बेहद प्यार है दिवानगी की हद तक, हिंदी मतलब दिल की धड़कनों से निकलती मेरी आवाज़….
हिन्दी का संस्कार , हिन्दी का शब्द विन्यास लाजबाव है,हर भावना को पूर्णता के साथ अभिव्यक्त करने का जो हुनर हिन्दी में है वह और कहाँ?
यूं तो हर भाषा अपनी गरिमा के साथ समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है किन्तु हिन्दी जैसी विशालता हर जगह मुमकिन नही है, हिन्दी ने हर भाषा के शब्दों को बड़ी आत्मीयता से अपने अन्दर समाहित किया है जिससे उसकी खूबसूरती और बढ़ गई है जैसे सागर नदियों को अपने में समाहित करने के बाद भी भरता नहीं वैसे ही हिन्दी भाषा है जिसमें मिलने के रास्ते सदैव खुले हुये है।
भाव बहे,अर्थ बहे,बहने दो हिन्दी की अक्षरधारा 
आनंद अनंत प्रवाहित रहे, हिन्दी सदैव मंद बयार सी बहे

हिन्दी दिवस की अनन्त शुभकामनाओं के साथ…..

©Beena Kumari #feelings #poem#thought#beenagordhan 

#guru
मातृभाषा हिन्दी का पर्व:- 14 सितंबर 2022 हिन्दी दिवस                हर दिवस कुछ न कुछ लेकर आता है, आज हिन्ही दिवस है मतलब ‘मातृभाषा दिवस’। मातृ एक गरिमामयी व्यक्तित्व है जिसके इर्द-गिर्द एक पूरा संसार चलायमान है,मातृभाषा भी इसी का प्रतिनिधित्व करती है जो प्रचुर मात्रा में शब्दों और अर्थो का भण्डार रखती है , हिन्दी भाषा में रचे बसे शब्द सीधे दिल में उतर कर दिल की कोमल भावनाओं को छूते हैं, गुस्से और प्यार को, नफरत और लालच को, जमाने भर के समस्त भावों को अभिव्यक्त करने के लिये प्रचुर शब्द यहां हैं, मुझे हिन्दी से बेहद प्यार है दिवानगी की हद तक, हिंदी मतलब दिल की धड़कनों से निकलती मेरी आवाज़….
हिन्दी का संस्कार , हिन्दी का शब्द विन्यास लाजबाव है,हर भावना को पूर्णता के साथ अभिव्यक्त करने का जो हुनर हिन्दी में है वह और कहाँ?
यूं तो हर भाषा अपनी गरिमा के साथ समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है किन्तु हिन्दी जैसी विशालता हर जगह मुमकिन नही है, हिन्दी ने हर भाषा के शब्दों को बड़ी आत्मीयता से अपने अन्दर समाहित किया है जिससे उसकी खूबसूरती और बढ़ गई है जैसे सागर नदियों को अपने में समाहित करने के बाद भी भरता नहीं वैसे ही हिन्दी भाषा है जिसमें मिलने के रास्ते सदैव खुले हुये है।
भाव बहे,अर्थ बहे,बहने दो हिन्दी की अक्षरधारा 
आनंद अनंत प्रवाहित रहे, हिन्दी सदैव मंद बयार सी बहे

हिन्दी दिवस की अनन्त शुभकामनाओं के साथ…..

©Beena Kumari #feelings #poem#thought#beenagordhan 

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Beena Kumari

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