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दरख्तों के पक्षी को सुकूँ कुछ देर तो है... आकाश के

दरख्तों के पक्षी को सुकूँ कुछ देर तो है...
आकाश के पक्षी का कोई ठिकाना ही नही. उन्मुक्त मन
दरख्तों के पक्षी को सुकूँ कुछ देर तो है...
आकाश के पक्षी का कोई ठिकाना ही नही. उन्मुक्त मन

उन्मुक्त मन