जरुरत नही तो क्या दखल देना जरुरी है अब थोड़ा खुद को बदल देना जरुरी है कब तक बैठेगा झुठी उम्मीद में साथ सच का दरअसल देना जरुरी है इश्क़ का कर्ज़ लिया जो मुकर जा कौन कहता है असल देना जरुरी है क्यूँ ज्यादा ध्यान दुसरो पे लगाता है खुद को पहले अकल देना जरुरी है अब कोई दुसरी मंजिल तुम्हें पुकारे तो बांध के बिस्तर चल देना जरुरी है ©sofinder #मुशाफिर_ए_इश्क