ज़िन्दगी अब शायद तुम्हारे इंतेज़ार में ही गुज़र जाएगी, लौटने का वादा करके,तुम चले तो गए, लेकिन तुम्हारी राह देखते देखते ही,शायद ये साँसे निकल जाएगी । हाँ, पता है मुझे, तुमसे कहने से डरती हूं मैं, कहीं तुम बदल न जाओ, पर बातों बातों में इशारा भी तो करती हूं मैं ।। तुम्हे दिप से चाहती हूं मैं ।। कितना अजीब है ना, तुम्हे पाया नहीं है, फ़िर भी,तुम्हे खोने से डरती हुन मैं ।। क्योंकि,तुम्हे दिल से चाहती हूं मैं ।। अब,बताने की तो हिम्मत नहीं है मुझमें, शायद ये पढ़कर ही समझ आजाए तुम्हे, के,कितना दिल से चाहती हूं तुम्हे ।। Un posted.... Intezaar....