Environment रोप दूं ******** रोप दूं अब कुछ नहीं एहसास बड़ी आशाओं के। देंगे जो सुखद लम्हें विस्मित सी इन बाधाओं से। दुरुस्त होंगे दिलो-दिमाग फिर इक नई बयार से। चोट देंगे सोच को जो है कुटिल मनोभाव में। चल रही है नफरतों की अंधाधुंध आंधियां। खर पतवारें भर रही है क्या घाटीयां क्या वादियां। बोनी है अब नन्ही कलमें मोहब्बतों के गुलाब की। देंगी जो बढ़कर सबों को शांत सी परछाइयां। ©सुधा भारद्वाज #रोप दूं #EnvironmentDay2021