गेहूँ सरसों के पकने को, जरूरत है ज्यों जाड़े की । कलम को स्याही की है और, कण्डक्टर को भाड़े की।। भँवर को फूल की है और बाजे को नगाड़े की। मुझे तेरी जरूरत है, पजामे को ज्यों नाड़े की।। 🤣परेशान🤣 ©Jitendra Singh #देशी आशिक