#नाटक_में_न_बदलो तुम मेरे प्रेम को नाटक में न बदलो। सपनों से बाहर आओ, साथ चलो। कल्पना में कहती हो मिलोगी मुझे, न मिलकर छलती हो,अब न छलो। कविता तो मिलेगी इक दिन ज़रूर, मेरे कातिलो! भले जितना जलो।। ...✍️ विकास साहनी ©Vikas Sahni #Natak#Mein#Na#Badlo #OneMorning