मेरे ख्वाबों में डूब के तुम निज अंतस मुझे निहारो गी, चुपके चुपके से रो रो कर मन ही मन मुझे पुकारो गी, हर एक बसन्ती मौसम में पतझड़ सा कहीं बुहारो गी, याद मेरी तुम्हें आएगी खुदको जब कभी सँवारों गी, सिन्दूर महावर मेंहदी से जब अपना साज करोगे, तुम मुझको याद करो गे, तब मुझको याद करो गे। #Love #love