जिसे सुनियोजित तरीके से किया जाए, उसे दंगा नहीं नरसंहार कहते है और दिल्ली में वहीं हुआ है हिन्दुओं के खिलाफ। अब कुछ का तर्क है कि मरने वाले उधर के भी है... हा बिल्कुल है, लेकिन एक भीड़( बीबी बच्चे समेत) जो पूरी योजना में संलिप्त थी जिसने पत्थर और पेट्रोल इकठ्ठा कर रखे थे, हिन्दुओं के घर दुकान को चिन्हित किया हुआ था, जो यह सोच कर निकले थे आग लगानी है जान लेना है। उस जिहादी भीड़ को आत्मरक्षा के लिए उठी हिन्दुओं कि भीड़ के समकक्ष रखना धूर्तता के अलावा और कुछ नहीं है। जिसे हमने वफादार समझा, असल में वो ही गद्दार निकले। और अभी फिर दोहराता हूं कि, देश के गद्दारों को, गोली मारो सालो को। अगर वो मुसलमान है तो दो गोली मारो अगर वो हिन्दू है तो चार गोली मारो मगर गद्दारों को गोली तो मारो।