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*मिट्टी वाले दिए जलाओ, अबकी बार दिवाली में।* मन

*मिट्टी वाले दिए जलाओ, अबकी बार दिवाली में।*


मन पुलकित हो जाए सबका,देख दृश्य खुशहाली में।
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।


मिट्टी लेकर कुम्भकार जब चाक घुमाने को बैठा,
हर दीपों पर एक नया वो स्वप्न सजाने को बैठा।
 तोड़ नही देना वो सपना,लाना दीप दिवाली में,
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।

मन पुलकित हो जाए सबका,देख दृश्य खुशहाली में।
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।


रहें भरोसे जो भी मेरे,हम भी उनका मान रखें,
सबको बांटे प्रेम जहाँ में,प्रेम भाव का स्वाद चखें।
खुशी बाँटकर हम भी जग में,झूमे फिर खुशहाली में,
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।

मन पुलकित हो जाए सबका,देख दृश्य खुशहाली में।
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।


दीप सिर्फ न वो मिट्टी के,संसार चमन है मिट्टी में,
कुम्भकार के जीवन के,अरमान दफन है मिट्टी में।
मोल भाव की मत सोचो,क्या रक्खा यार दलाली में,
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।

मन पुलकित हो जाए सबका,देख दृश्य खुशहाली में।
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।

©अमित साहू Priya Rao Choudhary  Ambika Jha Swati Mungal Rahi सुुमन कवयित्री
*मिट्टी वाले दिए जलाओ, अबकी बार दिवाली में।*


मन पुलकित हो जाए सबका,देख दृश्य खुशहाली में।
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।


मिट्टी लेकर कुम्भकार जब चाक घुमाने को बैठा,
हर दीपों पर एक नया वो स्वप्न सजाने को बैठा।
 तोड़ नही देना वो सपना,लाना दीप दिवाली में,
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।

मन पुलकित हो जाए सबका,देख दृश्य खुशहाली में।
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।


रहें भरोसे जो भी मेरे,हम भी उनका मान रखें,
सबको बांटे प्रेम जहाँ में,प्रेम भाव का स्वाद चखें।
खुशी बाँटकर हम भी जग में,झूमे फिर खुशहाली में,
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।

मन पुलकित हो जाए सबका,देख दृश्य खुशहाली में।
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।


दीप सिर्फ न वो मिट्टी के,संसार चमन है मिट्टी में,
कुम्भकार के जीवन के,अरमान दफन है मिट्टी में।
मोल भाव की मत सोचो,क्या रक्खा यार दलाली में,
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।

मन पुलकित हो जाए सबका,देख दृश्य खुशहाली में।
मिट्टी वाले दिए जलाओ,अबकी बार दिवाली में।

©अमित साहू Priya Rao Choudhary  Ambika Jha Swati Mungal Rahi सुुमन कवयित्री