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कितने दूर के सपने सजाये थे, भारत माँ के सपूतो ने

कितने  दूर के सपने सजाये थे, भारत माँ के सपूतो ने ,
भविष्य में आने वाली पीढियो  के लिए 
न देखना पड़े भारत माँ को जकड़ा हुआ गुलामी की जंजीरों में
पहन के कफ़न का चोला जो वीर
आज़ादी के जश्न को 
 हँसते हँसते शाहिद हुए थे 
आ सके खुशहाली इन चेहरो को खुद के 
अश्को को दबा के चेहरे की हँसी में
वो वीर जवान शहीद हुए थे
आएगा एक रोज ,एक नया सवेरा 
अखण्ड भारत का बच्चे ,बूढ़े  और जवान 
के चचेहरो में एक नई उमंग 
जान कर वो वीर 
शाहिद हुए थे

©Yogesh Mishra
  #surya #आजादी_का_अमृत_महोत्सव