तू मेरी सियांही मैं मेरा अल्फाज मैं तेरा चांद तू मेरी चांदनी रात तू सूरज की धूप मैं बरगद की छांव मैं आवारा बादल तू सावन की बरसात आ पास बैठ, कुछ पल तो बीता मेरे साथ अपने सुर्ख होठों से, चुरा मेरे नर्म ख्वाब दिल की कलम से...