एक बर्ष में जोड़ लिए जो इच्छा कुंठा द्वेष विषाद आओ उनको दहन करें हम आज जली होली के साथ भूल हुई अज्ञान की खातिर या थोड़े से लालचपन में तेरा मेरा करते करते भेद होगये हैं जो मन में प्रेम राग का गीत सुनाकर रंग लगादें सबके तन में सत्य सनेह गुलाल लगावें बिल्कुल कपट रहे ना छन में तेरे दुख मेरे बन जाएं कोई जलन रहे न सुख में एक दूजे का हाथ थाम कर खुशियाँ झूमें हर आँगन में जाति धर्म से ऊपर उठकर प्रेमरंग पिचकारी छूटें ऊंच नीच की बातें ना हो ऐसी सब दीवारें टूटें सबके रंग अलग होनेपर बहुत बड़े बदरंग होते है इंद्रधनुष तो बनता तब है एक जगह सबरंग होते है #yqgudiya #preeti dadhichi #holi