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न जीवित हैं हम न ही मर पाते हैं, ज़माने के द्वारा स

न जीवित हैं हम न ही मर पाते हैं,
ज़माने के द्वारा सताए जाते हैं..!

वो अलग ही लोग थे जब थे तुम साथ पापा,
अब तो हम ही गुनाहगार बताये जाते हैं..!

किसी के लिए मसीहा किसी के थे अन्नदाता,
अब तो हमें ही एहसान जताये जाते हैं..!

ज्यादा अच्छा होना भी नहीं अच्छा इस कलयुग में,
श्रेष्ठ की श्रेणी में भी आये वही जो ढोंग रचाये पाते हैं..!

वाह वाही और प्रसिद्धि भी मिलती है उन्हीं को,
सत्कर्म वाले तो बस ठोकर खाये जाते हैं..!

बढ़ते हैं ज़ुल्म बढ़ाने वालों के कंधो पे सितारे,
सच्चाई की आवाज़ उठाने वाले कंधो पे उठाये जाते हैं..!

चढ़ती अहम् की बीमारी बढ़ती रही सदा यूँ ही,
राह-ए-तरक्की में रोड़ा बनने वाले हटाये जाते हैं..!

©SHIVA KANT(Shayar)
  #ChainSmoking #satayehuye