रूप के धूप में आँखें भला सेंकें नहीं कैसे ये दिल का जाल तेरे सामने फेंकें नहीं कैसे तू इतनी सज-सँवरके रोज़ आ जाती है कॉलेज में अब इतनी ख़ूबसूरत चीज़ हम देखें नहीं कैसे -- प्रशान्त मिश्रा देखें नहीं कैसे