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एक ख्वाब लिए बैठा हूँ । हां मैं कुछ खास लिए बैठा ह

एक ख्वाब लिए बैठा हूँ ।
हां मैं कुछ खास लिए बैठा हूँ ।
डरता हूँ कहीं मर न जांऊ ,
दिल मे एक डर लिए बैठा हूँ ।
अब सहा नहीं जाता , जो खुद से ।
हाँ मैं ऐसी तक़दीर लिए बैठा हूँ ।
ख्वाब क्या है , शिक्षा क्या है ।
सब कुछ अलग लिए बैठा हूँ ।
मैं अपने ही अंदर , दूसरा
शख्स लिए बैठा हूँ ।
मैं नहीं जानता कि अंत क्या होगा ।
फिर भी एक उम्मीद लिए बैठा हूँ ।
हाँ मैं एक ख्वाब लिए बैठा हूँ ।
मांगता हूं खुदा से , चमत्कार मैं ।
21वी सदी मे आस्था लिए बैठा हूँ ।
कितना पागल हूँ मैं ।
अपने ही अंदर , दूसरा 
शख्स लिए बैठा हूँ ।
हाँ मैं दिल मे , एक ख्वाब लिए बैठा हूँ ।
रोज उठता हूँ  , हाँ मैं लड़ता हूं , खुद से 
दूसरों की नज़र मे , बेकार ही बैठा हूँ ।
क्यूँ गलत हूँ मैं , मैं खुद नही जानता 
शायद गलत हूँ , जो ख्वाब लिए बैठा हूँ ।
अपने ही अंदर दूसरा शख्स लिए बैठा हूँ ।
हाँ मैं एक ख्वाब लिए बैठा हूँ । Shailja S Madan Chauhan Indu Sarita Rani Anirudh Upadhyay
एक ख्वाब लिए बैठा हूँ ।
हां मैं कुछ खास लिए बैठा हूँ ।
डरता हूँ कहीं मर न जांऊ ,
दिल मे एक डर लिए बैठा हूँ ।
अब सहा नहीं जाता , जो खुद से ।
हाँ मैं ऐसी तक़दीर लिए बैठा हूँ ।
ख्वाब क्या है , शिक्षा क्या है ।
सब कुछ अलग लिए बैठा हूँ ।
मैं अपने ही अंदर , दूसरा
शख्स लिए बैठा हूँ ।
मैं नहीं जानता कि अंत क्या होगा ।
फिर भी एक उम्मीद लिए बैठा हूँ ।
हाँ मैं एक ख्वाब लिए बैठा हूँ ।
मांगता हूं खुदा से , चमत्कार मैं ।
21वी सदी मे आस्था लिए बैठा हूँ ।
कितना पागल हूँ मैं ।
अपने ही अंदर , दूसरा 
शख्स लिए बैठा हूँ ।
हाँ मैं दिल मे , एक ख्वाब लिए बैठा हूँ ।
रोज उठता हूँ  , हाँ मैं लड़ता हूं , खुद से 
दूसरों की नज़र मे , बेकार ही बैठा हूँ ।
क्यूँ गलत हूँ मैं , मैं खुद नही जानता 
शायद गलत हूँ , जो ख्वाब लिए बैठा हूँ ।
अपने ही अंदर दूसरा शख्स लिए बैठा हूँ ।
हाँ मैं एक ख्वाब लिए बैठा हूँ । Shailja S Madan Chauhan Indu Sarita Rani Anirudh Upadhyay