वो सफ़र के सिकन्दर हमको ठहरे मिले,, और पैरों में जो जख्म थे, वो हमको गहरे मिले। वो हाथों में तलवार लेकर यूँ हताश बैठे थे, जीत कि उम्मीद में पहने हुए हार के सहरे मिले। जिनकी आवाज हौसलो से भी बुलन्द थी कभी, वो मयूश होकर हमें गूँगे-बहरे मिले। वो जिन पर मोहित हुए, भला अब राज क्या बोलूं, वक्त क्या बदला, सबके बदले हुए चहरे मिले। #NojotoQuote #wo safar ke sikandar....