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कल तक तो मुझे बारिश का मौसम और पानी दोनों बहुत पसन

कल तक तो मुझे बारिश का मौसम और पानी दोनों बहुत पसन्द था,
इन नन्ही नन्ही बारिश की बूंदों के साथ खुद का कहीं इनमें खो जाना,
मगर आज ना जाने क्यों इन बारिश की बूंदों से घुटन सी महसूस हुई,
काश यह बारिश की बूंदें मुझे मेरे रूह तक भी भिगोकर रख देती,
कम से कम मेरे जिस्म के साथ साथ कुछ भूली बिसरी यादें भी धूल कर साफ़ हो जाती।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #baarish #Poetry #poems
कल तक तो मुझे बारिश का मौसम और पानी दोनों बहुत पसन्द था,
इन नन्ही नन्ही बारिश की बूंदों के साथ खुद का कहीं इनमें खो जाना,
मगर आज ना जाने क्यों इन बारिश की बूंदों से घुटन सी महसूस हुई,
काश यह बारिश की बूंदें मुझे मेरे रूह तक भी भिगोकर रख देती,
कम से कम मेरे जिस्म के साथ साथ कुछ भूली बिसरी यादें भी धूल कर साफ़ हो जाती।
आशुतोष शुक्ल (उत्प्रेरक)

©ashutosh6665 #baarish #Poetry #poems