मेरा जो लगाव है तुमसे। उसका कोई मतलब नहीं था बस जरा सी वजह थी तुम्हे देख कर लगा यू लगा। मानो यही सकूं का ठिकाना है। इससे जायदा सोचा नहीं। तुम्हारा व्यक्तित्व मुझे भाव गया। तुम्हारा सभी के लिए अनुराग। एक बहिर्मुखी सवभाव। नज़रे हया से लबालब। जो पढ़ लेती है सब को। मगर जवाब देना जरूरी नहीं समझती। अपने मन में दबे हुए एहसास की। भनक नहीं लगने देती। अपने काम के प्रति समर्पण। गंगा सा पवित्र दामन। इन सब के बीच तुम्हारा। मेरे लिए अलग सा जुड़ाव। बेशकीमती वक्त मे से। दौड़ती भागती निकाल लेती हो मेरे लिए वक्त, पूछ लेती हो हाल। अब तो नोकझोक् भी एक जरिया बन गया है। ये प्यार दोस्ती या कुछ और। बस मतलब ना होकर लगाव है। #अनुराज #लगाव