मौसम की तरह तुम हर एक लम्हा सबे गम है क्या किया जाय उम्मीदे सुबह बहुत कम है क्या किया जाय तुम्हारी याद में आलम को भूल बैठा हूँ तुम्ही बताओ ये आलम है क्या किया जाय