मुरझाने सा लगा हूं अब महकता भी नहीं हूं किसी की नाकाम मोहब्बत का गुलदस्ता हूं इस ग़म में जब बिखर जाता है एक दरख़्त पूरा, उस हालत में भी संभला हुआ हूं, शा'इस्ता हूं। गुलशन को लगा है लगने के बहार छोड़ गई है तू समझ जो भी, मैं तेरे हर हाल से वाबस्ता हूं। अब जो बिछड़ा तो शायद मिल ना सकूंगा सूखी हुई शाख़ का टूटा हुआ पत्ता हूं। किसी की नाकाम मोहब्बत का गुलदस्ता हूं ~हिलाल हथर'वी . ©Hilal Hathravi #LateNight #नाकाम #मोहब्बत #गुलदस्ता