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आ चल कहीं उड़ चलते हैं, पंखों को खोल हवाओं की परव

आ चल कहीं उड़ चलते हैं,
पंखों को खोल 
हवाओं की परवरिश में
चल पल बैठते हैं,
अपने सपनों का घोंसला
चल मिल कर बना लेते है।।

आ चल कहीं उड़ चलते हैं,
यह जात-पात के झमेले से 
कहीं दूर चलते है,
तेरे हाथों में अपना हाथ थाम
कहीं घूमने चलते है
प्यार की कस्तीया अब हवाओं में लगाते हैं।।

आ चल कहीं उड़ चलते हैं,
इस दुनिया वालों ने बहुत कचरे का घर
बना रखा है,
दो प्रेमियों के मिलन में 
बाधा ला रखा है,
ये अच्छा नहीं
वो अच्छा नहीं
वो तेरे लायक नहीं
इन बैढियो में कहीं बांध रखा है,
इन बैरियों को छोड़ आगे चलते हैं।।
                        -harsh_lines #Birds #Love #poem #Poetry #Dard #gam #Life
आ चल कहीं उड़ चलते हैं,
पंखों को खोल 
हवाओं की परवरिश में
चल पल बैठते हैं,
अपने सपनों का घोंसला
चल मिल कर बना लेते है।।

आ चल कहीं उड़ चलते हैं,
यह जात-पात के झमेले से 
कहीं दूर चलते है,
तेरे हाथों में अपना हाथ थाम
कहीं घूमने चलते है
प्यार की कस्तीया अब हवाओं में लगाते हैं।।

आ चल कहीं उड़ चलते हैं,
इस दुनिया वालों ने बहुत कचरे का घर
बना रखा है,
दो प्रेमियों के मिलन में 
बाधा ला रखा है,
ये अच्छा नहीं
वो अच्छा नहीं
वो तेरे लायक नहीं
इन बैढियो में कहीं बांध रखा है,
इन बैरियों को छोड़ आगे चलते हैं।।
                        -harsh_lines #Birds #Love #poem #Poetry #Dard #gam #Life