बांध लो न मन बावरा देता जलन प्रीति के मनुहार में कैसी ये तपन चूमा अधरों को भर भर आलिंगन अश्रु रहे कैसे उमड़ पड़े नयन बादलों में नीर की कैसी ये उलझन रिस रहे अगन में गदराये सावन उन्मादी गात की टूटे सुहाने सपन उलझ उलझ कर निर्बाध वयन आतुर करों के खनके कंगन सागर घट में प्यासा रहे मन क्षण कहां से आये मिट जाये थकन ढल जाये कैसे अंदर का सूनापन बजता कल कल सुधियों का सरगम खिल जाये जैसे मधु वन उपवन शीतल स्वर में प्रवाहित हो गुंजन निर्मम छल प्रपंच क्या करे दमन विष अमृत बने करो कुछ जतन #hindi_poetry #lifequotes #lifeisbeautiful #dream #eventplanner #inspiration #instagrampoetry #philosophy #zindagikimehak #memory #beautifuldestinations #poetrycommunity #nature #goldenretriever #streetstyle #positivethinking