ParleG बचपन की रसमलाई अपनी कलम चलो आज फिर उन

ParleG  

बचपन की रसमलाई

 अपनी कलम 
चलो आज फिर उन दिनों से बात करते हैं।
बङे मीठे और रसीले थें बचपन के किस्सें 
आज फिर सें मुलाक़त करते है।
कान्ता कुमावत 
parle-g

©kanta kumawat अपनी कलम 

#parleg
ParleG  

बचपन की रसमलाई

 अपनी कलम 
चलो आज फिर उन दिनों से बात करते हैं।
बङे मीठे और रसीले थें बचपन के किस्सें 
आज फिर सें मुलाक़त करते है।
कान्ता कुमावत 
parle-g

©kanta kumawat अपनी कलम 

#parleg
kantakrdugrpura4973

kanta kumawat

Silver Star
Gold Subscribed
Growing Creator
streak icon132
बचपन और शैतानी      
अपनी कलम 
बचपन की शरारतें घर के हर कोने में
रोज नयी खुशियाँ लाती है। 
कभी माँ के आँचल में छुप जाना तो कभी 
उसके पल्लू में मुस्कुराना आज भी मन को लुभाती है।
पापा के घर लौटने की आवाज़ 
मूझे कोने में छुपाती है। 
दरवाजे के अन्दर आते ही कोने से धक्का लगाती है। 
यह बचपन की शरारतें कभी पापा को
तो कभी दादा- दादी को डराती है।
बचपन की शैतानिया आज भी 
घर के हर कोने में मंडराती है।
बचपन की शरारतें घर के कोने में 
रोज नयी खुशियाँ लाती है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम 

अपनी कलम 

#bachpan
बचपन और शैतानी      
अपनी कलम 
बचपन की शरारतें घर के हर कोने में
रोज नयी खुशियाँ लाती है। 
कभी माँ के आँचल में छुप जाना तो कभी 
उसके पल्लू में मुस्कुराना आज भी मन को लुभाती है।
पापा के घर लौटने की आवाज़ 
मूझे कोने में छुपाती है। 
दरवाजे के अन्दर आते ही कोने से धक्का लगाती है। 
यह बचपन की शरारतें कभी पापा को
तो कभी दादा- दादी को डराती है।
बचपन की शैतानिया आज भी 
घर के हर कोने में मंडराती है।
बचपन की शरारतें घर के कोने में 
रोज नयी खुशियाँ लाती है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम 

अपनी कलम 

#bachpan
kantakrdugrpura4973

kanta kumawat

Silver Star
Gold Subscribed
Growing Creator
streak icon132
उसके दिए जख्मों पर लगाना मलम छोड़ दी.. 

 उसको भूलने की खाई थी कसम आज वो कसम तोड़ दी 

हमारी शायरी में ना हो जाए उसकी बेवफाई का जिक्र .
इसलिए हमने अपने हाथों से अपनी कलम तोड़ दी अपने हाथों से अपनी कलम तोड़ दी
उसके दिए जख्मों पर लगाना मलम छोड़ दी.. 

 उसको भूलने की खाई थी कसम आज वो कसम तोड़ दी 

हमारी शायरी में ना हो जाए उसकी बेवफाई का जिक्र .
इसलिए हमने अपने हाथों से अपनी कलम तोड़ दी अपने हाथों से अपनी कलम तोड़ दी
mannatmaan5640

mannat maan

New Creator
हम तुम   
अपनी कलम 
मनुष्य का असली 
सुकून प्रकृति की खुशबू।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम
हम तुम   
अपनी कलम 
मनुष्य का असली 
सुकून प्रकृति की खुशबू।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम
kantakrdugrpura4973

kanta kumawat

Silver Star
Gold Subscribed
Growing Creator
streak icon132
प्यारे दोस्त  
अपनी कलम 
प्रेम केवल निभाया जा सकता है। 
परन्तु हर किसी से पाया 
नहीं जा सकता है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम
प्यारे दोस्त  
अपनी कलम 
प्रेम केवल निभाया जा सकता है। 
परन्तु हर किसी से पाया 
नहीं जा सकता है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम
kantakrdugrpura4973

kanta kumawat

Silver Star
Gold Subscribed
Growing Creator
streak icon132
जिम्मेदार नागरिक  


अपनी कलम 
खुबसूरत दिल के सारे नगमें 
खुशियाँ बेचने को बेकरार हैं।
इन्सानियत जिन्द़ा है अभी हमारी रगों में 
हम कागज पर लिख देनें को तैयार है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम
जिम्मेदार नागरिक  


अपनी कलम 
खुबसूरत दिल के सारे नगमें 
खुशियाँ बेचने को बेकरार हैं।
इन्सानियत जिन्द़ा है अभी हमारी रगों में 
हम कागज पर लिख देनें को तैयार है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम
kantakrdugrpura4973

kanta kumawat

Silver Star
Gold Subscribed
Growing Creator
streak icon132
जिम्मेदार नागरिक अपनी कलम 
अच्छे और सच्चे रिश्तों की पहचान 
हमेशा दुःख से बचाकर आनन्द 
और प्रेम का अनुभव करवाती है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम
जिम्मेदार नागरिक अपनी कलम 
अच्छे और सच्चे रिश्तों की पहचान 
हमेशा दुःख से बचाकर आनन्द 
और प्रेम का अनुभव करवाती है।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम
kantakrdugrpura4973

kanta kumawat

Silver Star
Gold Subscribed
Growing Creator
streak icon132