फिर मुलाक़ात की होड़ में हूं अजीब सी गूंज है तडपन सी चिक्क है मै इसान नहीं तड़पाई हुई बेगुना गुनेगार हूं रात के सनाटे में इंतजार करती हूं मिल जाए कोई डूंडती हूं हमसफ़र प्यासी हूं हिपाजत में उसकी इंतकाम हूं हर किसी के लिए ठाराई हुई रण्डी हूं रात में करा लूंगी छोड़ने पर भी ना चूट पाऊंगी ऐसी में गात हूं फिर मुलाकात की होड़ में हूं ©Hemant nayak #Dard #Raat #story